सबसे अधिक जनसँख्या वाला देश कौन सा है? – 2022 के हिसाब से – हेलो दोस्तों मैं शिव कुमार आज के अपने इस आर्टिकल में आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूँ। दोस्तों आज मैं अपने इस आर्टिकल के जरिए जनसँख्या के बारे में बताने वाला हु । तो चलिए शुरुआत करते हैं…
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जनसँख्या क्या है
जैविक में, स्पेसल जाति के अंत: जीव प्रजनन के संचयन को जनसंख्या कहते हैं; समाजशास्त्र में इसे मनुष्यों का संचयन कहते हैं। जनसँख्या के अन्दर आने वाला हर व्यक्ति कुछ पहलू एक दुसरे से बांटते हैं जो कि सांख्यिकीय रूप से अलग हो सकता है, लेकिन अगर आमतौर पर देखें तो ये अंतर इतने अस्पष्ट होते हैं कि इनके आधार पर कोई बटवारा नहीं किया जा सकता है
जनसांख्यिकी का उपयोग मार्केटिंग में विस्तृत ढंग से होता है, ये आर्थिक इकाइयों, जैसे कि खुदरा व्यापारियों, सूचक कस्टमर से सम्बंधित हैं। उदाहरण के लिए, एक कॉफी की दुकान है जो कि युवाओं को अपना कस्टमर बनाना चाहता है, ऐसा करने के लिए वो क्षेत्रों की जनसांख्यिकी को देखता है ताकि वो युवा श्रोतागण को अपने तरफ lकरने में कुसल हो पाए.
जनसँख्या बढ़ने का कारन क्या है
- भारत में आबादी बढ़ने के दो प्रमुख कारण है|
– जन्म दर का % मृत्यु दर से अधिक होना। हमने मृत्यु दर के प्रतिशत को तो सफलता के साथ कम दर दिया गया है किन्तु यही कार्य जन्म दर के बारे में नहीं किया जा सकता।
अलग-अलग जनसंख्या पद्धति और अन्य माध्यम से जन्म दर कम तो हुई है परन्तु फिर भी यह दूसरे देशों के मुकाबले बहुत अधिक है।
बताए गए यह दो कारण अलग-अलग सामाजिक विवाद से परस्पर संबंद्ध हैं जिससे देश की जनसँख्या बढ़ती जा रही है।
काम उम्र में ही शादी कर देना और सार्वभौमिक विवाह प्रणाली: वैसे तो कानूनी तौर पर लड़की की शादी की उम्र 18 साल है, लेकिन जल्दी शादी की अवधारणा यहां बहुत प्रचारित है और जल्दी शादी करने से गर्भधारण करने की अवधि भी बढ़ जाती है। इसके अलावा भारत में शादी को एक पवित्र कर्तव्य और सार्वभौमिक अभ्यास माना जाता है जहां लगभग सभी महिलाओं की शादी प्रजनन क्षमता की आयु में आते ही हो जाती है।
अवैध प्रवासी: सबसे अंत में हम इस सच को नहीं नकार सकते कि बांग्लादेश, नेपाल से अवैध प्रवासियों की लगातार वृद्धि से जनसंख्या घनत्व में बढ़ोत्तरी हुई है।
- जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव
- आजादी के 67 साल के बाद भी बढ़ती आबादी के कारण देश का भू हास्य कुछ खास अच्छा नहीं है। ज्यादा आबादी के कुछ खास प्रभाव इस प्रकार हैं:
बेरोजगारी: भारत जैसे देश में इतनी ज्यादा जनसँख्या के लिए रोजगार पैदा करना बहुत ही कठिन बात है। अनपढ़ लोगों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। इसलिए बेरोजगारी दर लगातार बढ़ती ही जा रही है।
जनशक्ति का उपयोग: भारत में बेरोजगारों की बढ़ती संख्या के वजह से आर्थिक मंदी, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां घिरे होती जा रहीं हैं।
मौलिक ढांचे पर प्रभाव: दुर्भाग्य से मौलिक ढांचे का विकास उतनी तेजी से नहीं हो रहा जितनी तेजी से जनसँख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसका नतीजा परिवहन, संचार, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा इत्यादि की कमी के तौर पर सामने आता है। झुग्गी बस्तियों, भीड़ भरे घरों, ट्रेफिक जाम आदि में बढ़ोत्तरी हुई है।
संसाधनों का उपयोगः भूमि क्षेत्र, जल संसाधन और जंगल सभी का बहुत शोषण हुआ है।जिसके कारन संसाधनों में भी कमी आई है।
घटता उत्पादन और बढ़ती लागत: खाद्य उत्पादन और विस्तार बढ़ती हुई आबादी की बराबरी करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी हुई है। महंगाई आबादी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है।
अनुचित आय वितरण: बढ़ती हुई आबादी के अतिरिक्त आय के वितरण में बड़ी असमानता है और देश में असमानता बढ़ती जा रही है।